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उज्जैन। कल से प्रथम पूज्य भगवान गजानन की घर-घर में स्थापना होगी वहीं शहर के प्रमुख चौराहों पर भी भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के साथ 10 दिनों तक पूजन पाठ सहित भव्य सांस्कृतिक आयोजन होंगे।
इसी तारतम्य में अंकपात मार्ग स्थित वनवास के दौरान सीताजी द्वारा स्थापित अविघ्न विनायक गणेश मंदिर में भी महाभोग के साथ विभिन्न आयोजन की तैयारियां जोरों पर की जा रही हैं।
षष्ठ विनायक में 5वां स्थान..
पं. अश्विन गजानंद शुक्ल ने चर्चा में बताया कि उनका परिवार पीढिय़ों से मंदिर में भगवान गणेश की सेवा कर रहा है। उनके पास सिंधिया राजघराने द्वारा प्रदत्त वर्ष 1927 के पत्र भी उपलब्ध हैं। पं. शुक्ल बताते हैं कि उज्जैन में षष्ठ विनायक मंदिर हैं जिनमें से अविघ्न विनायक गणेश मंदिर का पांचवां स्थान है।
इस मंदिर की खासियत : वनवास के दौरान माता सीता ने की थी स्थापना….
मंदिर के पुजारी पं. अश्विन गजानंद शुक्ल ने मंदिर के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि वनवास के दौरान भगवान श्री राम, माता सीताजी, लक्ष्मणजी के साथ उज्जैन आये थे और इसी स्थान पर रुके थे।
भगवान राम, लक्ष्मण वन में लकड़ी आदि की व्यवस्था करने गये और लौटने में देरी हुई तो माता सीता चिंता में पड़ गईं, उन्होंने भगवान का ध्यान लगाया तो नारदजी प्रकट हुए और नारदजी ने माता सीता को बताया कि यह स्थान स्वयंभू भगवान गजानन का है।
उनकी पूजा करें। माता सीता ने भगवान गजानन का ध्यान लगाया तो स्वयं भगवान गणेश यहां प्रकट हुए और उन्होंने माता सीता के सारे विघ्न हरने की बात कही। इस दौरान माता सीता ने अविघ्न विनायक की मूर्ति स्थापित कर उपवास भी किया और भगवान राम, लक्ष्मण के वन से लौटने के बाद व्रत खोला था। इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है और मंदिर का नामकरण पुराणों में उल्लेख के अनुसार अविघ्न विनायक गणेश मंदिर रखा गया है।
10 दिनों तक आयोजन : अविघ्न विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिनों तक लड्डू प्रसाद, भजन, कीर्तन, भगवान का विशेष श्रृंगार सहित अनेक आयोजन होंगे।